26 फरवरी 1999 – Ratan Tata की एक ऐसी घटना, जिसे सुनकर हर भारतीय गर्व से भर उठता है। उस दिन भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपति Ratan Tata को Ford के मालिक के सामने अपनी कंपनी बेचने का प्रस्ताव रखना पड़ा। यह घटना उनके जीवन का एक कठिन मोड़ था, जो आगे चलकर इतिहास में दर्ज हुआ।
रतन टाटा, Tata Motors को लेकर बहुत महत्वाकांक्षी थे। उन्होंने कंपनी की छवि को एक अलग ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए थे। लेकिन जब Tata Motors ने अपना पहला यात्री वाहन ‘Indica’ लॉन्च किया, तो यह कार उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी। इसके चलते कंपनी को भारी घाटा सहना पड़ा।
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Ratan Tata Ford Deal
इस नुकसान से उबरने के लिए, 26 फरवरी 1999 को Ratan Tata और उनकी टीम Ford के मुख्यालय, Detroit, अमेरिका पहुंची। वहां उनका मकसद था Tata Motors को Ford के हाथों बेचना। उन्होंने Ford के मालिक को कंपनी बेचने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जो हुआ वह अप्रत्याशित था।
Ford के अधिकारियों ने Ratan Tata के सामने उनकी कंपनी को “बेकार” बताया। एक अधिकारी ने कहा, “अगर आपको यह कंपनी चलानी नहीं आती, तो आप इसे बेच क्यों रहे हैं?” इस ताने ने Ratan Tata के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई। उन्हें Ford के इस रवैये से गहरा धक्का लगा। मीटिंग के दौरान Ford के मालिक Bill Ford ने कहा, “आपने हमारी कंपनी को खरीदने का प्रस्ताव क्यों रखा है, जबकि हमें आपकी कंपनी की जरूरत ही नहीं है?”
इस अपमानजनक घटना के बाद Ratan Tata ने Tata Motors बेचने का इरादा बदल दिया। वे तुरंत वापस भारत लौट आए। लेकिन इस घटना ने उन्हें हार मानने की बजाय और भी मजबूत बना दिया। उन्होंने Tata Motors को उबारने और भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाने का संकल्प लिया।
Ford से बदला – Jaguar Land Rover की कहानी
2008 में, Ratan Tata ने ऐसा कदम उठाया जो पूरे विश्व के लिए एक चौंकाने वाली खबर थी। उस समय Ford अपनी दो लग्जरी कार ब्रांड्स, Jaguar और Land Rover को बेचने की स्थिति में था। तब Ratan Tata ने इन दोनों ब्रांड्स को खरीद लिया। यह सौदा $2.3 बिलियन में पूरा हुआ। यह वह समय था जब Ford को अपनी मजबूरी में Tata Group के सामने झुकना पड़ा।
यह घटनाक्रम Ratan Tata की एक अद्वितीय रणनीति और धैर्य का परिचय है। उन्होंने साबित कर दिया कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, आत्मसम्मान और दृढ़ निश्चय से आप दुनिया को झुका सकते हैं। Ratan Tata की इस जीत ने न केवल Tata Group को एक नई ऊंचाई दी, बल्कि Ford को यह संदेश भी दिया कि असफलताओं से उबरने वाला व्यक्ति ही असली विजेता होता है।
आज Ratan Tata की इस कहानी को भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में याद किया जाता है। उनके इस निर्णय ने भारतीय उद्योग जगत में एक नई प्रेरणा का संचार किया।

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